नई दिल्ली : हार्दिक पटेल के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस अब दूसरे पटेल नेता को शामिल करने पर विचार कर रही है. इसमें सबसे आगे नरेश पटेल का नाम है. पटेल गुजरात का प्रभावशाली समुदाय है. उनके पास 14-15 फीसदी के आसपास वोट हैं. पटेल को गुजरात में पाटीदार बोला जाता है.
पटेल समुदाय दो भागों में बंटे हैं. उनमें से एक लेउवा पटेल समुदाय है. नरेश पटेल इसी समुदाय से आते हैं. वह एक सामाजिक कार्यकर्ता और खोडालधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पार्टी को उन्हें पार्टी में शामिल करने का सुझाव दिया था. हालांकि, पीके के कांग्रेस ज्वाइन न करने से यह योजना अधूरी रह गई. नरेश पटेल और पीके के बीच अच्छा रिश्ता है.
कुछ दिन पहले हार्दिक पटेल ने भी नरेश पटेल से मुलाकात की थी. उन्होंने राज्य की राजनीति पर विचार-विमर्श किया था. हालांकि, गुरुवार को गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रघु शर्मा, प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर, पूर्व अध्यक्ष अमित चावड़ा, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सुखराम राथया और वरिष्ठ नेता परेश धानानी ने नरेश पटेल के राजकोट स्थित फार्महाउस पर मुलाकात की. सूत्र बता रहे हैं कि उन्होंने नरेश पटेल को कांग्रेस ज्वाइन करने का निमंत्रण भी दिया.
सूत्र बताते हैं कि नरेश पटेल ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि कांग्रेस ज्वाइन करें या नहीं. वह किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले और समय चाहते हैं. पार्टी के जानकार बताते हैं कि हार्दिक पटेल इस बात से कांग्रेस से नाराज थे, कि उनके रहते हुए पार्टी नरेश पटेल को अधिक तवज्जो देने लगी. हार्दिक 2015 में अनामत आंदोलन से चर्चा में आए थे. बाद में राहुल गांधी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल करवाया था.
पार्टी के अंदरुनी सूत्रों से नरेश पटेल की मुलाकात को लेकर जब पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह मुलाकात अचानक हुई थी. उन्होंने कहा कि पार्टी का राजकोट में पहले से ही कार्यक्रम तय था. हार्दिक पटेल के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस ने नरेश पटेल की तारीफ करनी शुरू कर दी. उन्हें एक अच्छा व्यक्ति बताया और कहा कि उम्मीद है कि वह पार्टी ज्वाइन भी करेंगे.
सूत्र बताते हैं कि हार्दिक पटेल के कांग्रेस छोड़ने से विधानसभा चुनाव में पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान नहीं होगा. वे बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों से हार्दिक का अपने पटेल समुदाय पर भी असर कम होने लगा था. उन्हें अपने ही समुदाय के कोप का भाजन होना पड़ रहा था, क्योंकि उन्होंने आरक्षण को लेकर जो आंदोलन चलाया था, उसकी क्या स्थिति है, इस पर बोलने के लिए तैयार नहीं थे.
कांग्रेस के रणनीतिकारों ने बताया कि क्योंकि हार्दिक के खिलाफ दायर केस वापस ले लिए गए हैं, लिहाजा उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता हार्दिक के काम करने के तरीके से संतुष्ट नहीं थे, क्योंकि हार्दिक ने पार्टी छोड़ने की वजहों में से एक वजह सीनियर नेताओं का रवैया बताया था.
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